यूँ मेरे मुल्क़ की हालत ज़रा सँभल जाए

05 Apr 2017 21:19:55 PM

मनोरंजन समाचार

खेल समाचार

यूँ मेरे मुल्क़ की हालत ज़रा सँभल जाए,
कि हादसों के दौर से न दिल दहल जाए....

अपनी मिट्टी पे फख़्र है, कि जिसने पाला है..
इसी की गोद में दिन बीते शाम ढल जाए...

हम एतबार तो कर लें तेरी सियासत का,
मगर न जाने इसकी चाल कब बदल जाए....

कोई क़ोशिश तो करके देखे, जलाए तो सही,
तेज़ आँधी में भी अमन की शमा जल जाए...

बड़ा है ज़िक्र कि अब इन्क़लाब आएगा,
हमें भी शौक़ है हालात अब बदल जाएं..

ज़रा हुक्काम भी बैठे कभी अवाम के साथ..
ज़रा मिलजुल के मसाइल के हल निकल जाएं....
   -शिल्पी मिश्रा
(नज़र प्रतापगढ़ी)

मुख्य समाचार