भीड़ के बहाव मे बह कर व्यक्ति ग़लत कार्य में साथ दे जाता है

24 Jun 2017 16:54:21 PM

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जब व्यक्ति भीड़ का हिस्सा बन जाता है तब वह अपनि स्वयं की सोचने समझने की शक्ति खो देता है और भीड़ जिस तरह से प्रतिक्रिया कर रही होती है उसी का अनुसरण करने लगता है।
कई बार व्यक्ति स्वयं से ग़लत इरादा नही लिए होता लेकिन भीड़ के बहाव मे बह कर ग़लत कार्य में साथ दे जाता है उसको इस बात का आभास भी नही होता के जो वो कर रहा है वो किस हद तक ग़लत है क्यूंकि बड़ी संख्या में उसके भीड़ में शामिल साथी उसी क्रिया को अंजाम दे रहे होते हैं तो ऐसे में सही ग़लत पर चिंतन उसको व्यर्थ लगता है साथ ही उसको यह भी आश्वासन रहता है के सभी यह कार्य कर रहे है तो मैं अकेला नही फसुंगा इसलिए दंड का संशय भी जाता रहता है।
कई लोग इसी भीड़ के फायदे को ध्यान में रख कर भीड़ का सहारा ले कर अपने कु कृत्यों को भी अंजाम दे डालते हैं। जो आजकल हम देख रहे हैं:- भीड़ अचानक से आती है और व्यक्ति को सरे आम मार कर चली जाती है। किसी एक व्यक्ति या संगठन विशेष पर इलज़ाम भी नहीं आता, काम भी हो जाता है। 
फिर अगले दिन संवेदना से भरे देश वासी भीड़ को अपनी अपनी तरह से परिभाषित करके अपनी रूह को सुकून देते है। थोडा आक्रोश सोशल मीडिया पर दिखा कर एक दुसरे के धर्म को गाली देते हैं। कभी मौजूदा सरकार को कोस लेते हैं। बस.. फिर नये किस्से नए जुर्म के लिए तैयार हो जाते हैं।

ये जो देश और समाज का हाल चल रहा है ये आरोप प्रत्यारोप से नही सुलझेगा।
इसके लिए स्वयं को बदलना पड़ेगा हमको।
ज़िम्मेदार नागरिक की भूमिका निभानी होगी।
अराजक तत्वों को पहचानना सीखना पड़ेगा।
नहीं तो कल 
आप
या मैं
कोई भी
भीड़ का शिकार हो जाएंगे!

#डा_सबा_यूनुस
#सामाजिक_चिन्तक

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