ताज के साथ दिल जीतने की भी माहिर हैं सुरु
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बचपन में मोटी और टॉमबॉय दिखने वाली सुरु और आज की सुरु , में उतना ही फर्क है जितना ज़मीन आसमान में . पर दिल अब भी अब वही है,सब सपने पूरे करने का और आस्मां को छूने का
दिल है छोटा सा , छोटी सी आशा !
कभी भी सोचा नहीं था की ज़िन्दगी में इस मुकाम पर पहुंच जाउंगी .. अभी दिल की मेहनत करके और आगे बढ़ने को चाहत है . क्योंकि मैं मानती हूं की अगर आपके इरादे नेक और बुलंद है और दिल सच्चा तो आपको कोई नहीं रोक सकता.
मंजिल पर पहुंचने के लिए कदम छोटे हो या बड़े ....कदम चलते रहे है ....ये ही सबसे जरूरी है
18 साल की उम्र में शादी , 19 में बेटा....जॉइंट फॅमिली में रह रही मैं अपनी सब जिम्मेदारियो को निभाने के लिए दिन रात लगी रही . कुछ साल बाद पढाई फिर से शुरू की और ग्रेजुएशन पूरी की.
हांगकांग में इन पांच साल पढ़ाया.....पर तब भी मांडल बनने का सपना देखने की हिम्मत ही नहीं की ...के कौन सा कभी पूरा होना है. कुछ न कुछ बनाने का बहुत शौक था, कभी पेंटिंग्स कभी एम्ब्रायडरी तो कभी कुकिंग .. लेकिन अब कुकिंग छोड़ के और कोई शौक पूरा कर नहीं सकती थी. खुद को बुलंद किया ... चार रंग लिये और ज़िन्दगी में भरने शुरू कर दिए. रंगों के साथ खेलते खेलते सेलेब्रिटी मेकअप आर्टिस्ट बन गई. जब चाहने वालो से प्यार और शाबाशी मिली तो होश आया की मैं सच में खुद के लिए देखा सपना सच कर सकती हूं
अदृश्य ताज सर पे संभाल के चल पड़ी मिसेस इंडिया की दौड़ में. जाने से पहले हजारो सवाल थे दिल में... पर वहां जा कर महसूस किया की दिल जीतना बहुत जरूरी है . ताज तो आज है है कल नहीं. दिल जीत के ज़िन्दगी में आगे बढ़ने का मज़ा ही कुछ और है. सबके दिल में जगह बनाई और सबसे ज्यादा वोट्स ले कर मोस्ट डिजर्विन्ग क्वीन का खिताब ले कर लगा मेरे सर पे सबके प्यार का ताज है, मिसेज इंडिया हांगकांग 2017 खिताब ले कर और ये लफ्ज़ चाहने वाली के मुह से सुनकर लगता है के जिम्मेदारी और भी ज़्यादा हो गई है. भगवान् से यही दुआ है की अपने देश और लोगो का सर गर्व से ऐसे ही ऊँचा करती रहू.
क्यों डरे ज़िन्दगी में क्या होगा
बढ़ते रहे मंजिलो की और हम
कुछ न भी मिले
तो तजुर्बा तो नया होगा !!!!
रिपोर्ट -सविता सम्बयाल