पौधारोपण करके एक नई पहल
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नूंह (मेवात) :
नरेंद्र मोदी विचार मंच की महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष डॉ सुलक्षणा ने अपनी वैवाहिक वर्षगांठ पर अपने कार्य स्थल आरोही मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रेवासन में पौधारोपण करके एक नई पहल की शुरुआत की। डॉ सुलक्षणा आरोही मॉडल स्कूल रेवासन में अंग्रेजी प्रवक्ता के पद पर कार्यरत हैं। आज अपनी वैवाहिक वर्षगांठ पर उन्होंने पर्यावरण को स्वच्छ और हर भरा बनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि पेड़ पौधे मानव जीवन का आधार हैं। पेड़ों से हमें अन्न, फल, दवा और जीवनदायनी शुद्ध हवा मिलती है। आज जिस अनुपात में विकास के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है उस अनुपात में पौधे लगाए नहीं जा रहे हैं जो कि गहन चिंता का विषय है। अगर यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं सारा वातारण जहरीला हो जाएगा और मानव अनेक प्रकार की गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आज पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने की बहुत जरूरत है। भविष्य की चिंता करते हुए हमें अत्यधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए और उनकी देखभाल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अभी से अपने बच्चों को इस बारे में जागरूक करना चाहिए और उनके जन्मदिन पर उन्हीं के हाथों पौधा लगवाकर कर वृक्ष बनने तक देखभाल करनी की जिम्मेदारी देनी चाहिये तथा अपनी वैवाहिक वर्षगांठ पर हमें भी पौधरोपण जरूर करना चाहिए। विद्यालय प्रभारी कृष्ण कुमार, विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति के प्रधान नदीम खान और विद्यालय के प्रवक्ता आंनद कुमार, भाल सिंह आदि डॉ सुलक्षणा द्वारा शुरू की गई इस नई पहल के साक्षी बनें। उन सभी ने इस पहल के लिए उन्हें बधाई देते हुए वैवाहिक वर्षगांठ की शुभकामनाएं दीं। इस मौके पर डॉ सुलक्षणा ने पर्यावरण बचाने को लिखी अपनी स्वरचित हिंदी और हरियाणवी कविता सुनाकर कर "पेड़ लगाओ जीवन बचाओ" नारे के साथ पेड़ बचाने की अपील की।
"""आण आले काल की सोच कै दो चार पेड़ लगा ल्यो,
एक ब फेर तै आपणी धरती माँ नै हरी भरी बना ल्यो।
ताज़ी हवा मिले आड़े म्हारी आण आली पीढ़ियाँ नै,
इस खातर पेड़ बचाण का इब क़दम थम ठा ल्यो।
पेड़ बचेंगे तै या प्रकृति बचेगी इस बात नै समझो थम,
प्रकृति बचेगी तै थम बचोगे मन म्ह या बात बिठा ल्यो।
मौसम का संतुलन बना रहगा बेशक आजमा लियो,
ना फेर गर्मी बढ़ैगी इतनी इस बात कान्ही बी लखा ल्यो।
चोवा ऊपर रहगा अर राम बी टेम प बरसा करैगा आड़े,
आपणै फायदा खातर इन कटते पेड़ां नै थम बचा ल्यो।
"सुलक्षणा" का फर्ज स सारी बात खोल के बताण का,
खुद बी समझो थम बात नै अर औरां नै बी समझा ल्यो।"""
और दुसरी कविता उन्होंने ये सुनाई :
धरती माँ का कर्ज चुकाने को,
बढ़ाओ हाथ पेड़ लगाने को।
सृष्टि का आधार हैं ये पेड़,
सृष्टि का श्रृंगार हैं ये पेड़,
आगे आओ इन्हें बचाने को।
पर्यावरण का संतुलन इनसे,
आपदाओं का उन्मूलन इनसे,
सोचो जीवन सुखमय बनाने को।
धरती पर वर्षा को बुलाते हैं ये,
जल स्तर को ऊँचा उठाते हैं ये,
पेड़ लगाओ जल स्तर बढ़ाने को।
रोगों की दवा मिलती इनसे,
शुद्ध ताजी हवा मिलती इनसे,
पेड़ लगाओ प्रदूषण दूर भगाने को।
धरती को हर भरा बना दो एक बार,
सुलक्षणा की बातों पर करो विचार,
करती कविताई वो समझाने को।
इस अवसर पर उपस्थित सभी बुद्धिजीवियों ने डॉ सुलक्षणा को आश्वस्त किया कि इस मुहिम आगे बढ़ाएंगे और अपने समाज को भी पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाएंगे।