आज हूं, आज बन गई हूं मैं प्रलय

15 Apr 2018 10:57:18 AM

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कल थी, कल थी मैं शांत समुंद्र सी
आज हूं, आज बन गई हूं मैं प्रलय
आज बदल गई हूं मैं आज जाग गई हूं मैं
कल थी मैं, ठण्डी हवा सी शांत
आज हूं, आज बन गई हूं तूफान मैं
आज बदल गई हूं मैं आज जाग गई हूं मैं
कल थी मैं कोमलता का प्रतीक सी
आज हूं, आज बन गई हूं कांटों का समूह मैं
कल थी मैं शांत हवा सी ठण्डी मैं
आज हूं, आज बन गई हूं प्रचण्ड ज्वाला सी मैं
कल थी मैं मूक
आज बोलने लगी हूं मैं
आज अपना अधिकार मांगना सीख लिया है मैंने
आज बदल गई हूं मैं आज जाग गई हूं मैं
कल तक थे मेरे दोनों नेत्र बंद
परंतु आज खुल गया है मेरा त्रीनेत्र भी
आज बन गई हूं त्रीनेत्री मैं
आज देखने लगी हूं वास्तविकता, सत्यता जीवन की
आज बदल गई हूं मैं आज जाग गई हूं मैं
कल तक थी मैं केवल लक्ष्मी आंगन की
परंतु आज धर लिया है रुप मैंने काल रात्रि का
आज बदल गई हूं मैं आज जाग गई हूं मैं
कल तक थी मेरी डोर पुरुष समाज के हाथ में
परंतु आज मेरी डोर है मेरे स्वयं के हाथों में
आज बदल गई हूं मैं आज जाग गई हूं मैं

सानिया खान 

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