कवयित्री साधना शर्मा गीत का यात्रा.वृतांत
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हरिद्वार पतंजलि महिला पतंजलि योग शिविर के आयोजन जाना हुआ वहाँ की ताजी सुगंधित हवा याद करते अभी भी हवा खुशनुमा हो जाती है
हरे भरे घास से भरे मैदान और विभिन्न प्रकार के फूलों से लदी क्यारियाँ मन सुकून दे रही थी सभी माता बहनों को वहाँ सफेद सूट व डुपट्टे दिऐ व आई कार्ड दिये गये साफ सुथरे खुले हवादार कमरों में सभी आधुनिक साधन उपलब्ध थे वैसे वहाँ ध्यान व योग की शीतलता वातावरण में फैली थी गर्मी नहीं थी फिर भी हर एक कमरे में ऐयरकंडीशनर लगा था
सात्विक भोजन वहाँ दिया जा रहा था सुबह ठीक तीन बजे सभी कमरों मे एक स्वचालित अलारम बज उठता है जिसे सुनने के बाद नींद स्वयं ही भाग जाती सभी दैनिक दिनचर्या से निवृत हो योगा भवन मे जा पहुँचते माताओं बहनो की लगन श्रद्धा की पराकाष्ठा ये थी के अग्रिम पंक्ति में बैठने की चाह में रात्रि दो बजे ही वहाँ जाकर आसन बिछा सो जाती थी वाकयी अद्भुत नजारा था। स्वामी रामदेव जी 4बजे से 8बजे तक लगातार योगा प्राणायाम कराते
अन्तिम आँखे बन्द कर ओम का उच्चारण सभी जब एक साथ करते तो सारा हाल दिव्यता से भरा प्रतीत होता जाने क्या समय का हिसाब किताब देख यह अन्तिम चरण स्वामी जी कराते के जैसे ही आँखे खुलती हमारी तो सामने से सूर्य देव का दर्शन होता जैसे योग के बाद जीवन में जीवन सभी विकारों अवरोधों का निदान होकर एक फैल प्रकाश गया हो।
तीनों समय का भोजन सभी बहनें एक साथ करती थी व्यवस्था की जितनी तारीफ की जाऐ उतनी कम है । एक समय में तीन हजार लोगों का भोजन.एक ही छत के नीचे और कोई अव्यवस्था का ना होना बहुत बडी बात है ऐसे सुंदर वातावरण में बहनों को भी एक दूसरे से खासा लगाव हो गया विभिन्न राज्यों से आई हुई बहनों की मंचीय नृत्य प्रस्तुति हुई सुंदर नृत्य ने समां बाँध दिया।
श्याम को बहने खुद भी समूह हरियाण्वी पंजाबी लोक गीतों पर थिरकती नजर आ जाती थी बहनों के.विशेष अनुरोध पर एक काव्य गोष्ठि का आयोजन भी किया गया जिसमें मैने श्रृंगार रस और वीर रस के मुक्तक गजल कहे बहनों से अपार स्नेह पाया एक साथ पाँच दिन साथ रहने के बाद जब शिविर की समाप्ति के दिन सभी की आँखें नम थी। बहुत बहुत.आभार स्वामी रामदेव जी का ऐसे आयोजन देश की नहीं अपितु वैश्विक एकता को भी बढावा देते है
अन्त ये कहूगीं करो योग रहो निरोग क्योकी सुंदर स्वस्थ शरीर.में ही स्वस्थ मन का निवास होता है।