दलित शोषण सत्य या राजनीति
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अचानक उत्तर प्रदेश में क्राइम बढ़ने लगा है। आए दिन कुछ बड़ी वारदातें हो रही हैं। कहीं किसी को गोली मार दी जाती है, तो कहीं दिन दहाड़े लूट हो रही है। सहारनपुर में हुए काँड ने तो सोंचने पर विवश कर दिया है। क्या वाकई में गुनहगारों को इतनी जल्दी पता चल गया कि योगी जी की सरकार कमज़ोर है। और ये कुछ भी करें कोई कुछ नहीं कर पाऐगा। या इन सबके पीछे किसी पार्टी की घिनौनी राजनीति है। प्रथम दृष्यटा यही दिखता है कि यह कमज़ोर सरकार के कारण हो रहा है परन्तु जब विचार करें तो एक सोंची समझी साजिश नज़र आती है। इतने वर्षों से दलित कभी इतना शोषित नहीं हुआ था कि उसको भीम आर्मी बनानी पड़े परन्तु बसपा की बुरी हार होते ही दलित उग्र हो गया। और भीम सेना का निर्माण हो गया। इस दंगे से सबसे ज्यादा फायदा अगर दिखता है तो वो बसपा का ही है। क्युँकि जहाँ ये उनके डूबते हुऐ जहाज को नई रवानी देगा वहीं एक नऐ नेता (भीम आर्मी चीफ) का उदय भी होगा। और आगे चल कर शायद यही बसपा का तारणहार हो। कहीं अन्य दल मिलकर इन वारदातों को अंजाम तो नहीं दे रहे। ताकि भाजपा सरकार को घेरा जाऐ और साथ ही 2019 के इलेक्शन की घिनौनी तैय्यारी हो सके। कहीं पिछली सरकार को अपने किये गऐ घोटालों को खुलने का डर तो नहीं सता रहा इस वजह से ये वारदातें बढ़ रही हैं ताकि नई सरकार इनमें उलझकर रहे जाऐ और अन्य काम न हो सकें। क्या दिखाना चाहते हैं ऐसे लोग ये सब करके अपनी ताकत? ये ताकत तब कहाँ होती है जब आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। तब कहाँ चले जाते हैं ऐसे उग्र नेता जब नक्सली सर उठाते हैं। तब क्युँ जबान कट जाती है इनकी जब काश्मीर में जवानों कर पत्थर मारे जाते हैं। इस लिये साहब क्युँकि उन वारदातों में खड़े होने पर कोई लाभ नहीं मिलेगा। और इनके आका जो पर्दे के पीछे खेल खेल रहे हैं उन्होने सिर्फ दंगे भड़काने का इशारा किया है देश बचाने का नहीं। मायावती जी कहती हैं सवर्णों ने दलितों का शोषण किया। मैं पूँछना चाहता हूँ कि कितने सौ सालों से भारत गुलाम रहा पहले मुगलों का और फिर अंग्रेजों का। इन सालों में कोई किसी का शोषण कैसे कर सकता था। इस समय में तो देश का ही शोषण हो रहा था। और आजादी के बाद लगभग 50 वर्ष तो काँग्रेस ने एक छत्र राज किया जिनके सुर में सुर मिलाकर आज आप भाजपा को घेर रही हैं। और तीन बार आप स्वयं राज कर चुकी हैं। परन्तु दलित आज भी शोषित हैंं। कारण आपकि मान्सिकता जो शायद शोषित है और यही आप देश के तमाम भोले भाले लोगों पर डाल रही हैं ताकि 2019 में आप विजय प्राप्त कर सकें। लोगों कि चिताओं पर अपनी राजनैतिक रोटियों को सेकने का ही परिणाम तो नहीं सहारनपुर हिंसा?
विकास मिश्रा